Top latest Five hanuman chalisa Urban news

[Saba=all; sukha=joy, pleasures; Lahai=keep; tumhari=in your; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be afraid]

lāyaLāyaBrought sanjīvaniSanjīvaniA life LakhanaLakhanaLakshman, brother of Lord Rama jiyāeJiyāeSaved / revived

व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।

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They find every thing apart from one fragment of his jawbone. His fantastic-grandfather on his mother's facet then asks Surya to revive the child to life. Surya returns him to lifestyle, but Hanuman is left using a disfigured jaw.[fifty one] Hanuman is alleged to get put in his childhood in Kishkindha.

लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र जोजन पर भानु ।

व्याख्या– ‘पिताँ दीन्ह मोहि कानन राजू‘ के अनुसार श्री रामचन्द्र जी वन के राजा हैं और मुनिवेश में हैं। वन में श्री हनुमान जी ही राम के निकटतम अनुचर हैं। इस कारण समस्त कार्यों को सुन्दर ढंग से सम्पादन करने का श्रेय उन्हीं को है।

They arrest Hanuman, and below Ravana's orders acquire him into a general public execution. There, Ravana's guards start out his torture by tying his tail with oiled cloth and placing it on fire. Hanuman then leaps from one palace rooftop to another, burning every little thing down in the method.[sixty two]

kānanaKānanaEars KundalaKundalaEar kunchitaKunchitaCurly / long KeshaKeshaHair Meaning: You might have golden colored human body shining with excellent-hunting attire. You've got lovely ear-rings with extended curly hair.

महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥ नासै रोग हरै सब पीरा ।

Hanuman Chalisa was composed by Tulsidas, a sixteenth-century poet-saint who was also a philosopher and reformer. Tulsidas can be renowned because the composer of Ramcharitmanas for his devotion to Shri Rama.

नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने more info के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

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